Seeker of Truth

पैड संख्या २८

विषय सूची —

  1. मरणासन्न व्यक्ति को भगवन्नाम सुनाने का माहात्म्य
  2. स्वयं अमानी रहकर दूसरों को उचित सम्मान दें
  3. गीताप्रेस में काम करने वालों को इससे आध्यात्मिक विषय का लाभ भी उठाना चाहिए
  4. भगवान् और महात्माओं की स्मृति से लाभ
  5. गीताप्रेस को चलाने वाले भगवान् तो सदा कायम हैं
  6. भगवान् याद आने पर उनके गुण अपने में आने चाहिएँ
  7. जो माता-पिता की भक्ति करता है, उसके पीछे-पीछे भगवान् फिरते हैं
  8. यदि हम ईश्वर की आज्ञा का आदर करें तो हमारे उद्धार में ज्यादा देर नहीं होगी
  9. मेरी पुस्तकों में भूल नहीं रहने देना घाव पर मरहम-पट्टी करना है
  10. हमारे पिताजी एवं दादाजी के नियम पालन की बातें
  11. गीताप्रेस के कार्यकर्ताओं को उद्बोधन
  12. भगवान् तो अपात्र, कुपात्र को भी दर्शन दे सकते हैं
  13. सब घटनाओं में भगवान् का पुरस्कार मानें, सब में आनन्द मानें
  14. हर समय स्वार्थ-त्याग का व्यवहार करना चाहिए, फिर व्यवहार चमक उठता है
  15. ईश्वर ने हम लोगों पर बड़ी दया की, जिससे हमारा सम्बन्ध गीताप्रेस से किया
  16. पुस्तकों की छपाई शुद्ध एवं सुन्दर होनी चाहिए
  17. रुपयों के त्याग से मान, बड़ाई, प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है और इन दोनों के त्याग से परमात्मा की प्राप्ति होती है
  18. गीताप्रेस का काम जितना करते हैं, अपनी शक्ति के अनुसार उससे ज्यादा करें
  19. जिसका राग-द्वेष और हर्ष-शोक जितना कम है, वह उतना भगवान् के नजदीक है
  20. गीताप्रेस की संस्था से संसार में परमार्थ विषय का कितना लाभ हो रहा है !
  21. यदि कोई निष्कामभाव से भगवदर्थ कर्म करे तो उसके अन्न में तुलाधार वैश्य की अपेक्षा ज्यादा शक्ति आ जावे
  22. किसी का मन बदल दें, वह ही विशेष हित करना है
  23. गीताप्रेस का काम भगवान् का काम है
  24. परम सेवा करने में मान, बड़ाई मिले तो गाली के समान लगनी चाहिए; उसमें लज्जा, संकोच होना चाहिए
  25. सबके साथ उच्च कोटि का व्यवहार करना चाहिए
  26. थोड़े आलस्य को भी ज्यादा मान लेवे तो उन्नति जल्दी होवे
  27. भगवान् का काम प्रसन्नता से करे तो उत्साह रहता है
  28. हम यदि भगवान् की कठपुतली बन जावें तो भगवान् अपने कहे अनुसार नाचें
  29. अन्त समय में मनुष्य को जो स्थिति प्राप्त होनी चाहिए, वह इसे ( घनश्यामदास जालान को ) प्राप्त है
  30. काम करते समय श्रीरामचन्द्रजी को याद कर लेना चाहिए
  31. हम गीताप्रेस के कार्यकर्ताओं को जिस रूप में देखना चाहते हैं, वैसा रूप दिखता नहीं है
  32. गीताप्रेस का काम भगवान् का काम है!
  33. भगवान् की प्रसन्नता में ही जिसकी प्रसन्नता है, वह भगवान् को प्राणों से भी प्यारा है
  34. किसी आदमी की मेरे से मिलने की उत्कट इच्छा होती है, तो उससे मिलना हो जाता है (श्रीशुकदेवजी की बीमारी अवस्था में उनसे बातचीत)
  35. लोगों में पुण्यों के पालन की इच्छा, चेष्टा नहीं रहती है, किन्तु फल चाहते हैं
  36. भगवान् की स्मृति श्रद्धा, प्रेम से होती है, इसके लिए भगवान् से याचना करने में भी अड़चन नहीं है (श्रीशुकदेवजी के पास)
  37. हम जब तक कोई काम नहीं छोड़ते हैं, तो आप क्यों छोड़ो
  38. नाम का जप, स्वरूप का ध्यान और भगवान् राम को हृदय में याद करके उस माफिक व्यवहार करना चाहिए
  39. कोई मरता होवे तो सत्संग छोड़कर भी वहाँ भगवन्नाम सुनाने के लिये जाना चाहिए
  40. मेरे द्वारा धारण किए हुए जीवनचर्या के नियम
  41. हर वक्त निष्कामभाव से भगवान् को याद रखने की विशेष चेष्टा करनी चाहिए
  42. आप लोग हमारे अनुभव से लाभ उठाओ
  43. हर एक प्रकार से पुस्तकों की बिक्री बढ़ानी चाहिए