Seeker of Truth
॥ श्रीहरिः ॥

काम करते समय श्रीरामचन्द्रजी को याद कर लेना चाहिए

प्रवचन सं. ३०
दि. २८-५-१९५८

मेरे मरने के बाद ये लोग गीताप्रेस की पुस्तकों के दाम बढ़ा देंगे, क्योंकि मुझ को छोड़कर सब कोई दाम बढ़ाने के पक्ष में हैं।

काम करते समय श्रीरामचन्द्रजी को याद कर लेना चाहिए। व्यवहार बड़ा ऊँचा करना चाहिए; अपने व्यवहार की छाप पड़नी चाहिए। तुलाधार वैश्य के माफिक व्यवहार करना चाहिए। मेरे सिद्धान्त के अनुसार जीवन बनाने के लिए भाव बढ़ाना चाहिए। भाव बढ़ने के लिए भगवान् से प्रार्थना करनी चाहिए। तुम्हारा जैसा भाव है, उसके अनुसार तुम्हारा जीवन उस प्रकार का बनना उचित ही है। विशेष क्या कहूँ ?

सत्संग के अमूल्य वचन-

मेरे अनुभव की बीती हुई बात बताता हूँ। जब-जब वैराग्य बढ़ता था, तब-तब सांसारिक सुख में रस प्रतीत नहीं होता था। जिन लोगों को रस प्रतीत होता था, हमको उनकी मूर्खता प्रतीत होती थी और हँसी आती थी कि कैसा मूर्ख है, जो सांसारिक सुखों को सुख मानकर भोगता है !