किसी का मन बदल दें, वह ही विशेष हित करना है
प्रवचन सं. २२
दिनांक २२-११-१९५८ एकान्त में, ४ बजे
(१) चौबेजी की तरह १६ घंटे सेवा का काम करना ।
(२) काम को ही भगवत्प्राप्ति का साधन समझना; फिर थकावट नहीं आती है।
हम भी आपकी उन्नति चाहते हैं। हम तो अब जाने वाले हैं; सो आप लोग आगे के लिये तैयार हो जाओ तो अच्छा लगे। हमारा शरीर अब भी परिश्रम माँगता है; थकावट नहीं आती है।
(३) मजदूरों का हित सोचना चाहिए।
(४) किसी एक का हित करें, वह मूल्यवान नहीं है; किन्तु किसी का मन बदल दें, वह ही विशेष हित करना है। गीताभवन, स्वर्गाश्रम में १०-१५ दिन से सफाई किया करते हैं. उसका लोग बहुत अच्छा भाव लेकर जाते हैं। रुपयों की तो बात है नहीं। सबके साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए।
सत्संग के अमूल्य वचन-
जैसे श्वास के बिना हम जी नहीं सकते, उसी प्रकार राम नाम को अपने जीवन का आधार बना लेवे। भगवान् का भजन निरन्तर शुरु कर देंगे तो हमारा बेड़ा पार हो जायेगा।