सेठजी के पैड
श्रद्धेय श्रीजयदयालजी गोयन्दका (सेठजी) गीताप्रेस के संस्थापक थे। बहुत छोटी आयु में ही उन्हें भगवद् दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होने से उनका एकमात्र उद्देश्य जीवों का कल्याण करने का बन गया था। हमारी धारणा में अपने प्रवचनों द्वारा जीवोंका उद्धार करने का अधिकार भी उन्हें भगवान से प्राप्त हो गया था।
सेठजी के प्रवचनों को कई सज्जन उस समय लिपिबद्ध कर लेते थे। उन प्रवचनों और पत्रों की सामग्री को एक स्थान पर एकत्रित करने के उद्देश्य से रजिस्टरों में नोट करना शुरू किया गया जो पैड के नाम से प्रचलित हो गए। यहाँ उन पैड को ही प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। आप स्वयं भी इन्हें पढ़े और दूसरों को भी पढ़ने के लिए प्रेरित करें।