Seeker of Truth

शिक्षा

विद्याको अपने और दूसरोंके काममें लाना चाहिये। जिसके पास उस विद्याका अभाव है, उसको वह विद्या देनी चाहिये। केवल जानकारीके लिये विद्याका संग्रह करनेसे अभिमान आता है।

प्रश्नोत्तरमणिमाला ४६३··

अगर किसी व्यक्तिको ( उसकी उन्नतिके लिये ) कोई शिक्षा देनी हो, कोई बात समझानी हो, तो उस व्यक्तिकी निन्दा या अपमान न करके उसके गुणोंकी प्रशंसा करे । गुणोंकी प्रशंसा करते हुए आदरपूर्वक उसे जो शिक्षा दी जायगी, उस शिक्षाका उसपर विशेष असर पड़ेगा।

साधक संजीवनी ३ । २६··

शिक्षा दो प्रकारसे दी जाती है कहकर और करके । गीतामें कहकर शिक्षा दी गयी है और रामायणमें करके शिक्षा दी गयी है।

सत्संगके फूल १६··

विद्यार्थीके जीवनमें जितना आराम कम होता है, उतना ही वह अच्छा विद्वान् बनता है।

सीमाके भीतर असीम प्रकाश १९२··

यह बात ठीक सिद्धान्तकी है कि घरसे जो शिक्षा मिलती है, वह राज्यसे नहीं मिलती, भले ही रामराज्य क्यों न हो।

अनन्तकी ओर १४६··

जो अपनी संस्कृतिको छोड़कर पाश्चात्त्य विद्या, भाषाको सीखता है और वैसा ही बन जाता है, उसने वास्तव में विद्या ली नहीं है, प्रत्युत अपने आपको खो दिया है। अतः अपनी संस्कृति सुरक्षित रखते हुए ही विद्या लेनी चाहिये, भाषा सीखनी चाहिये।

साधन-सुधा-सिन्धु ९१९··

विदेशी शिक्षाके प्रभावसे आजकलके लड़के-लड़कियाँ शुद्धि - अशुद्धिको जानते ही नहीं। वे सफाई जानते हैं, पर शुद्धि, पवित्रता जानते ही नहीं। हड्डीको साबुनसे धोनेपर वह साफ तो होती है, पर पवित्र नहीं होती । विदेशी शिक्षामें इन बातोंका ज्ञान है ही नहीं। विदेशी शिक्षा नाश करनेवाली है।

सीमाके भीतर असीम प्रकाश ३०-३१··

आजकी शिक्षा कामकी नहीं है। मैंने अच्छे-अच्छे विद्वानोंसे पूछा है कि पढ़ाईका उद्देश्य क्या है ? किसलिये पढ़ना चाहिये ? वे इसका उत्तर नहीं दे सके । अगर नौकरी पानेके लिये पढ़ाई करते हैं तो भीतरमें गुलामी - ही गुलामी भरी है । क्या पढ़ाईका फल गुलामी करना है ? क्या यह मनुष्यता है ? यह महान् नीचपना है।

अनन्तकी ओर १८३··

आजकलके स्कूल-कालेज मूर्खताके अड्डे हैं, जहाँ ठोस मूर्खता भरी जाती है।

ज्ञानके दीप जले १८८··

भोगी व्यक्ति दूसरेको पारमार्थिक शिक्षा नहीं दे सकता । त्यागी व्यक्ति ही त्याग सिखा सकता है।

सागरके मोती २६··

बड़ोंको यदि छोटोंको शिक्षा देनी हो तो वाणीसे न देकर आचरणसे दे।

सत्संगके फूल १२४··

जिससे आचरण ठीक न हों, वह शिक्षा शिक्षा नहीं है।

सीमाके भीतर असीम प्रकाश १५··

विद्या प्राप्त करनेका सबसे बढ़िया उपाय है - गुरुकी आज्ञाका पालन करना, उनकी प्रसन्नता लेना । उनकी प्रसन्नतासे जो विद्या आती है, वह अपने उद्योगसे नहीं आती।

अमृत-बिन्दु ९४२··