Seeker of Truth

इतिहास

इतिहासके आधारपर सत्यका निर्णय नहीं हो सकता। कारण कि उस समय समाजकी क्या परिस्थिति थी और किसने किस परिस्थितिमें क्या किया और क्यों किया, किस परिस्थितिमें कहा और क्यों कहा - इसका पूरा पता नहीं चल सकता। इसलिये इतिहासमें आयी अच्छी बातोंसे मार्गदर्शन तो हो सकता है, पर सत्यका निर्णय विधि - निषेधसे ही हो सकता है। अतः हमें क्या करना चाहिये और क्या नहीं करना चाहिये - इस विषय में इतिहासको प्रमाण न मानकर शास्त्रके विधि निषेधको ही प्रमाण मानना चाहिये।

सत्संग-मुक्ताहार ६९-७०··

रामायण, महाभारत आदि इतिहासकी कथाओंका रूपक बनाना, उन्हें ज्ञानमें घटाना (जैसे- रावण नाम अहंकारका है आदि) ठीक नहीं है। शास्त्रोंमें ज्ञानकी बातोंकी कमी है ही नहीं, फिर रूपक क्यों बनायें ? रूपक बनानेसे इतिहासका नाश होता है, भगवान्‌के चरित्रपर आघात होता है।

प्रश्नोत्तरमणिमाला ४४६··