भारत एक विलक्षण देश है। भारतमें जन्म कल्याणके लिये ही होता है।
||श्रीहरि:||
भारत एक विलक्षण देश है। भारतमें जन्म कल्याणके लिये ही होता है।- सत्संगके फूल १५३
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सत्संगके फूल १५३··
भारत पृथ्वीका हृदय है। जैसे कोई भी भाव हृदयमें ही पैदा होता है, हाथ-पैर आदिमें नहीं, ऐसे ही भगवान् भारतमें ही अवतार लेते हैं।
||श्रीहरि:||
भारत पृथ्वीका हृदय है। जैसे कोई भी भाव हृदयमें ही पैदा होता है, हाथ-पैर आदिमें नहीं, ऐसे ही भगवान् भारतमें ही अवतार लेते हैं।- सागरके मोती ७७
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सागरके मोती ७७··
भारतका प्रभाव प्रत्यक्ष दीखता नहीं । भारतमें ऋषि-मुनियोंकी बहुत शक्ति है । यह देश दुनियामात्रके हितके लिये है । भूमण्डलपर भारतका एक प्रभाव है। भारत दुनियामात्रका जीवन है । भारतके नाश ( अहित) - से भूमण्डलके सब लोगोंका नाश ( अहित ) है।
||श्रीहरि:||
भारतका प्रभाव प्रत्यक्ष दीखता नहीं । भारतमें ऋषि-मुनियोंकी बहुत शक्ति है । यह देश दुनियामात्रके हितके लिये है । भूमण्डलपर भारतका एक प्रभाव है। भारत दुनियामात्रका जीवन है । भारतके नाश ( अहित) - से भूमण्डलके सब लोगोंका नाश ( अहित ) है।- रहस्यमयी वार्ता १८५
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रहस्यमयी वार्ता १८५··
अपने कल्याणका, आध्यात्मिक उन्नतिका जैसा मौका भारतमें है, वैसा अन्य किसी देशमें नहीं है । कल्याण (मुक्ति) - का आविष्कार इस देशमें विशेषतासे हुआ है। जैसे वैज्ञानिक नित्य नये- नये भौतिक आविष्कार कर रहे हैं, ऐसे ही इस देशमें हम नये-नये आध्यात्मिक आविष्कार कर सकते हैं।
||श्रीहरि:||
अपने कल्याणका, आध्यात्मिक उन्नतिका जैसा मौका भारतमें है, वैसा अन्य किसी देशमें नहीं है । कल्याण (मुक्ति) - का आविष्कार इस देशमें विशेषतासे हुआ है। जैसे वैज्ञानिक नित्य नये- नये भौतिक आविष्कार कर रहे हैं, ऐसे ही इस देशमें हम नये-नये आध्यात्मिक आविष्कार कर सकते हैं।- सीमाके भीतर असीम प्रकाश ४९
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सीमाके भीतर असीम प्रकाश ४९··
इस भारत देशमें जो विलक्षणता है, वह दूसरे देशमें नहीं है।....... यह देश सम्पूर्ण देशोंका गुरु है, इसलिये भूमण्डलके सब मनुष्य 'अपने-अपने देशमें हम कैसा आचरण करें - यह इस देशके ब्राह्मणोंसे सीखें। पारमार्थिक उन्नति करनेमें इसके समान कोई दूसरा देश नहीं है। संस्कृत- जैसी विलक्षण भाषा दूसरे किसी देशमें नहीं है । इस देशके सन्त महात्माओंमें भी जो विलक्षणता, अलौकिकता, विचित्रता है, वह दूसरे देशोंमें नहीं मिलती। जो लोग सच्चे हृदयसे पारमार्थिक मार्गमें लगे हैं, उनको इस बातका अनुभव होता है । आप इस देशमें पैदा हुए, यह कोई मामूली बात नहीं है। इस देशमें पैदा होना भी भगवान्की बहुत विशेष कृपा है।
||श्रीहरि:||
इस भारत देशमें जो विलक्षणता है, वह दूसरे देशमें नहीं है।....... यह देश सम्पूर्ण देशोंका गुरु है, इसलिये भूमण्डलके सब मनुष्य 'अपने-अपने देशमें हम कैसा आचरण करें - यह इस देशके ब्राह्मणोंसे सीखें। पारमार्थिक उन्नति करनेमें इसके समान कोई दूसरा देश नहीं है। संस्कृत- जैसी विलक्षण भाषा दूसरे किसी देशमें नहीं है । इस देशके सन्त महात्माओंमें भी जो विलक्षणता, अलौकिकता, विचित्रता है, वह दूसरे देशोंमें नहीं मिलती। जो लोग सच्चे हृदयसे पारमार्थिक मार्गमें लगे हैं, उनको इस बातका अनुभव होता है । आप इस देशमें पैदा हुए, यह कोई मामूली बात नहीं है। इस देशमें पैदा होना भी भगवान्की बहुत विशेष कृपा है।- बिन्दुमें सिन्धु तीर्थ १३६ - १३७
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बिन्दुमें सिन्धु तीर्थ १३६ - १३७··
भगवान्की भारत देशमें विशेष प्रियता है । यहाँ भगवान्को ज्यादा याद किया जाता है। इसलिये भगवान् यहाँके पापोंको, दुःखोंको सहन नहीं करते। भारतपर भगवान्की विशेष कृपा है, इसलिये वे यहाँ अवतार लेते हैं।
||श्रीहरि:||
भगवान्की भारत देशमें विशेष प्रियता है । यहाँ भगवान्को ज्यादा याद किया जाता है। इसलिये भगवान् यहाँके पापोंको, दुःखोंको सहन नहीं करते। भारतपर भगवान्की विशेष कृपा है, इसलिये वे यहाँ अवतार लेते हैं।- सीमाके भीतर असीम प्रकाश ७३
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सीमाके भीतर असीम प्रकाश ७३··
भारतवर्षपर भगवान्की विशेष कृपा है। वे नर-नारायणरूपसे लोगोंका कल्याण करनेके लिये उत्तराखण्डमें तपस्या करते हैं। वे भगवान् होते हुए भी सन्त महात्मा हैं, और सन्त महात्मा होते हुए भी भगवान् हैं।
||श्रीहरि:||
भारतवर्षपर भगवान्की विशेष कृपा है। वे नर-नारायणरूपसे लोगोंका कल्याण करनेके लिये उत्तराखण्डमें तपस्या करते हैं। वे भगवान् होते हुए भी सन्त महात्मा हैं, और सन्त महात्मा होते हुए भी भगवान् हैं।- ज्ञानके दीप जले २२७
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ज्ञानके दीप जले २२७··
भारतमें भी गंगा-यमुनाके बीचका देश विशेष पुण्यकारक है। इसमें पुण्यका फल भी बढ़िया होता है और पापका फल भी।
||श्रीहरि:||
भारतमें भी गंगा-यमुनाके बीचका देश विशेष पुण्यकारक है। इसमें पुण्यका फल भी बढ़िया होता है और पापका फल भी।- सत्संगके फूल १२९
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सत्संगके फूल १२९··
पारमार्थिक उन्नति जितनी भारतमें हुई है, उतनी किसी देशमें नहीं हुई है।
||श्रीहरि:||
पारमार्थिक उन्नति जितनी भारतमें हुई है, उतनी किसी देशमें नहीं हुई है।- सीमाके भीतर असीम प्रकाश १८६
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सीमाके भीतर असीम प्रकाश १८६··
क्षत्रिय (राजपूत) बड़े शूरवीर और तेजस्वी होते हैं। परन्तु ईर्ष्या- दोष होनेके कारण जिस राजाका राज्य हुआ, उसने अपने अधीन रहनेवाले राजपूतोंका उत्साह कम करनेकी चेष्टा की, उनकी उन्नति नहीं होने दी, जिससे कि वे प्रबल होकर राज्य न छीन लें। इस प्रकार ईर्ष्याके कारण आपसी फूट होनेसे तथा उत्साहमें कमी होनेसे ही विधर्मीलोग भारतपर अपना अधिकार करनेमें समर्थ हो सके।
||श्रीहरि:||
क्षत्रिय (राजपूत) बड़े शूरवीर और तेजस्वी होते हैं। परन्तु ईर्ष्या- दोष होनेके कारण जिस राजाका राज्य हुआ, उसने अपने अधीन रहनेवाले राजपूतोंका उत्साह कम करनेकी चेष्टा की, उनकी उन्नति नहीं होने दी, जिससे कि वे प्रबल होकर राज्य न छीन लें। इस प्रकार ईर्ष्याके कारण आपसी फूट होनेसे तथा उत्साहमें कमी होनेसे ही विधर्मीलोग भारतपर अपना अधिकार करनेमें समर्थ हो सके।- साधक संजीवनी १८ । ४३ परि०
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साधक संजीवनी १८ । ४३ परि०··
भारतवर्ष में पैदा होकर भी मनुष्य भगवान्में नहीं लगते- इसका मुझे बड़ा आश्चर्य होता है । ऋषि- मुनियोंकी सन्तान होनेसे यहाँके मनुष्योंकी बुद्धि बहुत विचित्र है, पर आज वे रुपयोंमें लग गये।
||श्रीहरि:||
भारतवर्ष में पैदा होकर भी मनुष्य भगवान्में नहीं लगते- इसका मुझे बड़ा आश्चर्य होता है । ऋषि- मुनियोंकी सन्तान होनेसे यहाँके मनुष्योंकी बुद्धि बहुत विचित्र है, पर आज वे रुपयोंमें लग गये।- सागरके मोती ९३
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सागरके मोती ९३··
नये-नये अधिकार पृथ्वीमण्डलमें ही मिलते हैं। पृथ्वीमण्डलमें भी भारत क्षेत्रमें विलक्षण अधिकार प्राप्त होते हैं । भारतभूमिपर जन्म लेनेवाले मनुष्योंकी देवताओंने भी प्रशंसा की है।
||श्रीहरि:||
नये-नये अधिकार पृथ्वीमण्डलमें ही मिलते हैं। पृथ्वीमण्डलमें भी भारत क्षेत्रमें विलक्षण अधिकार प्राप्त होते हैं । भारतभूमिपर जन्म लेनेवाले मनुष्योंकी देवताओंने भी प्रशंसा की है।- साधक संजीवनी १६ । ६
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साधक संजीवनी १६ । ६··
भारतवर्षमें जन्म लेकर भी मनुष्य भगवान्में न लगे - यह बड़े आश्चर्य और दुःखकी बात है । क्योंकि भारतवर्षमें जन्म मुक्त होनेके लिये ही होता है। इसलिये देवता भी भारतवर्षमें जन्म चाहते हैं।
||श्रीहरि:||
भारतवर्षमें जन्म लेकर भी मनुष्य भगवान्में न लगे - यह बड़े आश्चर्य और दुःखकी बात है । क्योंकि भारतवर्षमें जन्म मुक्त होनेके लिये ही होता है। इसलिये देवता भी भारतवर्षमें जन्म चाहते हैं।- अमृत-बिन्दु १२५