गृहस्थमें कैसे रहें ?
रुद्रो मुण्डधरो भुजङ्गसहितो गौरी तु सद्भूषणा
स्कन्दः शम्भुसुतः षडाननयुतस्तुण्डी च लम्बोदरः ।
सिंहक्रेलिममूषकं च वृषभस्तेषां निजं वाहन-
मित्थं शम्भुगृहे विभिन्नमतिषु चैक्यं सदा वर्तते ॥
भगवान् शंकर मुण्डमाला एवं सर्प धारण किये हुए रहते हैं और पार्वती सुन्दर-सुन्दर आभूषण धारण किये हुए रहती हैं। शंकरके पुत्र कार्तिकेय छः मुखवाले तथा गणेश लम्बी सूँड़ और बड़े पेटवाले हैं। भगवान् शंकर आदिके अपने-अपने वाहन - बैल, सिंह, मोर और मूषक भी आपसमें एक-एकका भक्षण करनेवाले हैं। ऐसा होनेपर भी भगवान् शंकरके विभिन्न (परस्परविरुद्ध) स्वभाववाले परिवारमें सदा एकता रहती है। [इसी प्रकार गृहस्थमें विभिन्न स्वभाववालोंके साथ अपने अभिमान और सुखभोगका त्याग करके दूसरोंके हित और सुखका भाव रखते हुए आपसमें प्रेमपूर्वक एकता रहनी चाहिये ।]